छठ पूजा की कहानी क्या है?

छठ पूजा भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे विशेष रूप से सूर्य देव की उपासना के लिए मनाया जाता है।

छठ पूजा का महत्व

भगवान राम और माता सीता ने छठ पूजा की शुरुआत की थी, सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने के लिए।

राजा प्रियव्रत की कथा

राजा प्रियव्रत और रानी मलुमी ने पुत्र प्राप्ति के लिए छठी देवी की पूजा की और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।

नहाय-खाय: छठ का पहला दिन

पहले दिन को 'नहाय-खाय' कहते हैं, जिसमें व्रती महिलाएं स्नान कर व्रत की शुरुआत करती हैं।

खरना: दूसरा दिन

दूसरे दिन को खरना कहते हैं, इस दिन बिना अन्न-जल ग्रहण किए व्रत रखा जाता है और प्रसाद में खीर बनाई जाती है।

तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य

तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और लोग नदियों व तालाबों पर जाकर पूजा करते हैं।

चौथा दिन: उगते सूर्य को अर्घ्य

चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है और प्रसाद ग्रहण किया जाता है।

छठ पूजा के नियम

पूजा के दौरान साफ-सफाई और शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है, और कोई अपशब्द या मांसाहार वर्जित होता है।

पूजा की महत्वपूर्ण बातें

छठ पूजा के प्रसाद को बिना हाथ धोए छूना वर्जित है, और पूजा के दौरान शांतिपूर्ण वातावरण बनाए रखना आवश्यक है।

छठ पूजा का फल

छठ पूजा करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उनके जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

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